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संत Rajinder Singh जी महाराज की पानीपत यात्रा ने लोगों के दिलों में आध्यात्मिक उत्साह को बढ़ाया

सत्य खबर, सतीश शर्मा,पानीपत। सावन कृपाल रूहानी मिशन के अध्यक्ष संत Rajinder Singh जी महाराज के सत्संग प्रवचन और आध्यात्मिक दीक्षा कार्यक्रम के लिए बृहस्पतिवार को यमुना एन्क्लेव के सामने स्थित सेक्टर 13-17 के हुड्डा ग्राऊंड में एक विशाल जनसमूह एकत्रित हुआ। विश्व-विख्यात आध्यात्मिक संत Rajinder Singh जी महाराज ने 11 वर्षों के बाद पानीपत शहर में आकर लोगों के दिलों में एक बार फिर आध्यात्मिक प्रेम और उत्साह का संचार कर दिया।

संत Rajinder Singh जी महाराज के सत्संग से पूर्व आदरणीय माता रीटा जी ने गुरु अर्जन देव जी महाराज की वाणी से एक शब्द प्रभु होय कृपाल त इहु मन लाई (जब प्रभु अपनी दयामेहर करते हैं, तब यह मन प्रभु की ओर लगता है) का गायन किया, जिसने उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया।

संत Rajinder Singh जी महाराज ने अपने सत्संग में एक सच्चे और पूर्ण आध्यात्मिक गुरु की असीम कृपा के बारे में बताया कि जब हम ऐसे महापुरुष के चरण-कमलों में पहुंँचते हैं तो हमें अनगिनत आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।

संत Rajinder Singh जी महाराज ने गुरु अर्जन देव जी महाराज के शब्द की व्याख्या करते हुए इंसान की क्या अवस्था है उस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हम सोचते हैं कि हम केवल शरीर और मन है तथा हमें यह शरीर इस दुनिया कीे जिम्मेदारियों को पूरा करने और इस संसार के भौतिक सुखों का आनंद लेने के लिए ही मिला है। जब हम किसी पूर्ण आध्यात्मिक गुरु के चरण-कमलों में पहुँचकर उनसे दीक्षा प्राप्त करते हैं, तभी यह सच्चाई हमारे सामने आती है कि वास्तव में हम आत्मा हैं, जो प्रभु के प्रेम और प्रकाश से भरी हुई है लेकिन हमारा मन पाँच इन्द्रियों के द्वारा हमारा ध्यान बाहर की दुनिया में ही लगाए रखता है, जिस करके हम इस भौतिक दुनिया के सुखों और दुखों में ही घिरे रहते हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि एक सच्चा गुरु प्रभु का ही रूप हैं। जिनके ज़रिये हम ध्यान-अभ्यास करने का तरीका सीखते हैं और अपने ध्यान को दो भू्रमध्य आँखों के बीच ’शिवनेत्र‘ पर एकाग्र करते हैं। केवल यही वो द्वार है जो प्रभु के प्रेम, प्रकाश और आनंद की अंदरुनी दुनिया की ओर खुलता है। जब हम ध्यान-अभ्यास करते हैं तो हमारी आत्मा के ऊपर से मन-माया और भ्रम की सभी परतें हट जाती हैं। हमारा मन जो हमारे ध्यान को इस बाहर की दुनिया में ले जा रहा था, अब वह अंदर की दुनिया में जाकर प्रभु के प्रकाश का अनुभव करता है।

अपने सत्संग प्रवचन के अंत में संत Rajinder Singh जी महाराज ने कहा कि एक पूर्ण सच्चे की गुरु दयामेहर से ही हम अंतर के दिव्य खजानों का अनुभव करते हैं। एक शिष्य जब अपने गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण करता है तो वो उसे आध्यात्मिक दौलत से मालामाल कर देते हैं। उनकी दयामेहर से ही शिष्य की पाँचों इंद्रियाँ अंतर्मुख होती हैं और तब उसकी आत्मा उच्च आध्यात्मिक मंडलों में उड़ान भरती है, जहाँ वो प्रभु के दिव्य-प्रेम, आनंद और प्रकाश का अनुभव करती है। आखिर में हमारी आत्मा प्रभु में विलीन होकर अपने जीवन के परम उद्देश्य जोकि अपने आपको जानना और पिता-परमेश्वर को पाना, को पूरा कर लेती है।

सत्संग के उपरांत Rajinder Singh जी महाराज ने सैकड़ों की संख्या में लोगों को नामदान (आध्यात्मिक दीक्षा) की अनमोल व दुर्लभ दात से नवाज़ा।

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कार्यक्रम के दौरान सावन कृपाल रूहानी मिशन की पानीपत शाखा की ओर से रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें कई भाई-बहनों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। इसके साथ ही साथ मुफ्त वस्त्र-वितरण शिविर में जरूरतमंद भाई-बहनों को वस्त्र, पुस्तकें और जूते आदि का वितरण किया गया।

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संत Rajinder Singh जी महाराज को ध्यान-अभ्यास के माध्यम से आंतरिक और बाहरी शांति को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। वे विश्व-विख्यात ध्यान-अभ्यास के गुरु, ध्यान-अभ्यास पर सर्वाधिक बिकने वाली पुस्तकों के लेखक हैं, उनको पिछले 35 वर्षों से शांति, प्रेम और मानव एकता का संदेश फैलाने के लिए संपूर्ण विश्वभर में जाना जाता है।

सावन कृपाल रूहानी मिशन के आज संपूर्ण विश्वभर में 3200 से अधिक केन्द्र स्थापित हैैं। मिशन का भारतीय मुख्यालय विजय नगर, दिल्ली में है तथा अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय नेपरविले, शिकागो, अमेरिका में स्थित है।

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